अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली क्यों बदली?

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अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली क्यों बदली? यह एक रोचक प्रश्न है जिसका उत्तर ढूंढ़ना आवश्यक है। भारतीय इतिहास में, कोलकाता और दिल्ली दो महत्वपूर्ण शहरों की भूमिका रही है। इन दोनों शहरों के बीच राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से बहुत अंतर है। इसलिए, अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली को बदलने का निर्णय लिया।

अंग्रेजों के आगमन के समय, कोलकाता ब्रिटिश भारत की राजधानी थी। यहां पर ब्रिटिश सरकार और उनके अधिकारी स्थानांतरित थे। कोलकाता ब्रिटिश साम्राज्य की गर्दन थी और यहां पर ब्रिटिश सरकार की सभी महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते थे। इसके अलावा, कोलकाता एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्र भी था। यहां पर ब्रिटिश व्यापारी अपने व्यापार को संचालित करते थे।

हालांकि, दिल्ली भी भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसे दिल्ली सल्तनत, मुग़ल साम्राज्य और ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी बनाया गया। दिल्ली एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नगरी है जहां पर्यटक और इतिहास प्रेमी आकर्षित होते हैं। इसके अलावा, दिल्ली भारतीय राजनीति का केंद्र भी है। यहां पर भारतीय सरकार की सभी महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं।

अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली को बदलने का कारण यह था कि वे दिल्ली को अपनी शक्ति और प्रभाव का केंद्र बनाना चाहते थे। दिल्ली की भूमिका और उसका राजनीतिक महत्व अंग्रेजों को आकर्षित करता था। वे चाहते थे कि उनकी सरकार और उनके अधिकारी दिल्ली में स्थानांतरित हों और वहां से देश को चलाएं।

इसके साथ ही, दिल्ली का भूगोलिक स्थान भी अंग्रेजों के लिए उपयोगी था। दिल्ली भारत के मध्य में स्थित होने के कारण यहां से देश के अन्य हिस्सों को आसानी से पहुंचा जा सकता था। इसके अलावा, दिल्ली के पास अच्छी सड़क, रेलवे और हवाई मार्गों की सुविधा भी थी। इसलिए, अंग्रेजों के लिए दिल्ली एक आदर्श राजधानी थी।

इस प्रकार, अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली को बदलने का निर्णय लिया। इससे दिल्ली को एक महत्वपूर्ण शहर बनाया गया और उसकी विकास और प्रगति को बढ़ावा मिला।

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