बंगाल का पहले नाम क्या था?

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बंगाल का पहले नाम क्या था?

भारतीय इतिहास की गहराईयों में खोजते हुए हम देखते हैं कि बंगाल एक प्राचीन और महत्वपूर्ण प्रांत है। यह भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी भाग में स्थित है और इसकी सीमाएं बांगलादेश, झारखंड, ओडिशा, बिहार और असम से मिलती हैं। बंगाल का नाम आज के दौर में बहुत प्रसिद्ध है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका पहले नाम क्या था?

बंगाल का पहला नाम ‘गौर’ था। गौर एक प्राचीन नगरी थी जो वर्तमान बंगाल के मालदा जिले में स्थित है। इस नगरी को गौर नदी के किनारे स्थित होने के कारण गौर कहा जाता था। गौर नगरी का इतिहास बहुत पुराना है और इसे भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

गौर नगरी का इतिहास लगभग 8वीं से 12वीं शताब्दी तक फूला था। इस समय गौर नगरी एक प्रमुख शिक्षा, संस्कृति और धार्मिक केंद्र था। यहां पर बहुत सारे मंदिर, विद्यालय और बौद्ध विहार थे। गौर नगरी का विकास गौरवांक वंश के राजाओं के द्वारा हुआ था। इस वंश के राजाओं ने गौर नगरी को एक महत्वपूर्ण नगर बनाया था और इसे विश्वविद्यालय नगरी के रूप में विकसित किया था।

गौर नगरी का नाम बदलने का कारण था मुस्लिम आक्रमण। 12वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमण के बाद गौर नगरी का नाम बंगाल रखा गया। इसका कारण था कि मुस्लिम शासकों ने इस प्रांत को बंगाल कहा था। बंगाल शब्द का उल्लेख पहली बार 14वीं शताब्दी में हुआ है। इसके बाद से बंगाल का नाम बदलते हुए नहीं रहा है और यह नाम आज भी उपयोग में है।

बंगाल का नाम बदलने के बाद भी यह प्रांत अपनी महत्ता बनाए रखी। इसका कारण था इसकी स्थिति और भूगोल। बंगाल एक आर्य भूमि है और यहां पर बहुत सारे आर्य संस्कृति के प्रमाण मिलते हैं। इसके अलावा बंगाल की खाद्य संस्कृति, कला, संगीत और साहित्य का विकास भी इसे महत्त्वपूर्ण बनाता है।

बंगाल का नाम बदलने के बाद भी इस प्रांत में विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक आंदोलन हुए। यहां पर बहुत सारे महापुरुष और संतों का जन्म हुआ और उन्होंने यहां पर अपने धर्म और संस्कृति को बढ़ावा दिया। बंगाल के इतिहास में रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, चैतन्य महाप्रभु, राजा राममोहन राय, इश्वरचंद्र विद्यासागर, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, रवींद्रनाथ टैगोर, सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ टैगोर, सत्येन्द्रनाथ बोस, रवींद्रनाथ टैगोर, सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ टैगोर, सत्येन्द्रनाथ बोस, रवींद्रनाथ टैगोर, सुभ

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